गगजराज के घर में भोलेनाथ की आराधना के बीच प्रकृति से करें अनूठी भेंट

दलमा अभ्यारण्य है अनूठा पर्यटन स्थल, घने वैन में रात्रि विश्राम का अलग अनुभव 

झारखंड को प्रचुर प्राकृतिक सौंदर्य उपहार में मिला है | पहाड़, घने वन और कल कल करते जल-प्रपात यहां की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं | जमशेदपुर के पास दलमा अभ्यारण्य ऐसा ही अनूठा पर्यटन स्थल है जो गजराज का घर होने के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य का साक्षात्कार कराता है | यहां स्थित अतिप्राचीन मंदिर में भोलेनाथ की आराधना इस यात्रा में आस्था के रंग भरती है | जबकि मनोरम वादियां आत्मिक शांति के साथ अविस्मर्णीय अनुभूति करती हैं | 

वन्यजीव देखने के विशेष प्रबंध: 

3000 फ़ीट से अधिक ऊंचाई वाले दलमा अभयारण्य का वन क्षेत्र कई छोटी-बड़ी पहाड़ियों को मिलाकर 193 वर्ग मीटर है | इसके भीतर मचान, वॉचटावर, हाईडआउट से पर्यटक हाथी के अलावा हिरण, लाल गिरलहरी, भालू और अन्य जीव देख सकते हैं | जंगल भ्रमण के लिए सफारी वाहन भी उपलब्ध हैं | हाथियों के लिये ख्यात दलमा झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में स्थित है | यह झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 100 किमी व जमशेदपुर से 15 किमी दूर है |  रांची में हवाई अड्डा है जहां के लिए प्रमुख शहरों से उड़ाने हैं | साथ ही दिल्ली से ट्रेन की सुविधा भी है |  जमशेदपुर मुम्बई-हावड़ा रेल मार्ग पर स्थित है |  जमशेदपुर के सोनारी हवाई अड्डे को केंद्र सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत कोलकत्ता और भुवनेशवर से नियमित विमान सेवा से भी जोड़ा गया है |

ग्रामीण जीवन से परिचय:

दलमा के वन में रात्रि की नीरव शांति के बीच प्रकृति का सानिध्य पाने के लिए वन विभाग की ओर से मकुलाकोचा व पिंडराबेड़ा में विश्राम गृह बनाये गए हैं | इन दोनों विश्राम गृह में कुल 32 कमरे 1000 से 1500 रुपये प्रतिरात्री की डर पर पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं | यहां पर वन विभाग ने आसपास 85 गांवों के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा है | पर्यटकों के लिए यहां आयुर्वैदिक उपचार, पंचकर्म के अलावा विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य देखने का अवसर और स्थानीय वन उत्पादों का बाजार भी विकसित किया जा रहा है | दलमा की यात्रा में रांची और आसपास के पर्यटन व धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया जा सकता है | एक घंटे की यात्रा से तमाड़ स्थित प्रसिद्ध देवड़ी माता मंदिर भी जा सकते हैं | मां देवड़ी में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की अगाध आस्था है |

पशुओं की जानकारी देता संग्रहालय:

पशुओं की दुनिया से परिचय कराने के लिए मकुलाकोचा में संग्रहालय बनाया गया है | यह वन दुर्लभ औषधीय पौधों का भी भंडार है | यहां 200 से अधिक प्रकार की तितलियाँ और 100 से अधिक प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं | 

 

जलप्रपात, गुफाएं और धार्मिक स्थल:

दलमा वन्यजीव अभयारण्य में पहाड़ी की चोटी पर प्राकृतिक गुफा में भगवान शिव विराजमान हैं| पास ही हनुमान मंदिर है, जहां पर्यटक पूजा-अर्चना करते हैं | सावन के महीने में मंदिर के साथ ही जंगल मे बने मार्ग को भव्य तरीके से सजाया गया है| पूरे झारखंड में श्रद्धालु बोल बम का जयकारा लगाते हुए भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं | दलमा के आसपास चांडिल डैम, डिमना लेक, प्राचीन वन देवी कालीमंदिर आदि आकर्षण का केंद्र हैं | दलमा में आठ जलप्रपात के अलावा इतनी ही गुफाएं हैं | इसमे सबसे प्रसिद्ध दलमा माई की गुफा है | ग्रामीण इन गुफाओं के किस्से बड़ी श्रद्धा के साथ सुनाते हैं| दलमा में कार्यरत वनकर्मी के अंदर अनुसार इन गुफाओं में कोई नहीं जाता है | मंदिर के पास नरसिंह व कटासीन गुफा है, जिसे दरबार के नाम से जाना जाता है | दोनों गुफाओं के ऊपर गणेश जी का मंदिर है |