अयोध्या दर्शन 

२२ जनवरी २०२४ को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है. यदि आप भी अयोध्या जाने का प्लान कर रहे हैतो इसमें वो सभी जानकारी संकलित की गई है जो अयोध्या पहुंचने से लेकर शहर में घूमने तक में मददगार साबित होगी।

 

राम मंदिर दर्शन

राम मंदिर कब खुलता है।

सुबह – 6 :30  से दोपहर 12 बजे तक 

दोपहर – 2 :30 से रात 10 :00 बजे तक

 

मंदिर में दर्शन कैसे होंगे ?

  • राम मंदिर परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार से मंदिर की दूरी करीब 200 मीटर है। यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए बुजुर्गों और विकलांगों के लिए व्हीलचेयर की सुविधा भी रहेगी  
  • मंदिर में आपको सिंह  द्वार होते हुए 32 सीडी चढ़कर राम मंदिर में प्रवेश मिलेगा इसके बाद आप पांच मंडप पार करके गर्भ गृह में रामलला  के दर्शन 30 फीट दुरी से कर पाएंगे 

मंदिर में प्रसाद क्या मिलेगा ?

राम मंदिर में भक्तों को ‘इलायची दाने ‘ का प्रसाद दिया जाएगा | यह चीनी  और इलायची को मिलाकर बनाया जाता  है | मंदिर परिसर में ही भक्तों को निशुल्क प्रसाद की व्यवस्था है  | 

चढ़ाने के लिए प्रसाद ले जा सकते है ?

भक्त भी विशेष अनुमति से शाकाहारी  और शुद्ध मिठाई और मेवे आदि का भोग लगा  सकते है | सुरक्षा कारणों से रामलला के मंदिर में भगवान को अर्पित करने के लिए नारियल ,फूल माला ,श्रृंगार या कोई और चीज भक्त नहीं ले जा सकते |

प्रसाद कहां से मिलेगा ?

सभी भक्तों को प्रसाद बांटने के लिए मशीन  लगाए गए है ये मशीनें  परिसर में दर्शनार्थियों के वापसी के रास्ते पर स्थापित  है | अभी शुल्क के साथ प्रसाद की कोई व्यवस्था मंदिर में नहीं है |

मंदिर में अंदर क्या ले जा सकेंगे ?

मंदिर दर्शन के वक्त आप अंदर केवल पैसा और चश्मा जैसी जरुरी चीजे ही ले जा सकते है अन्य वस्तुओं के लिए दर्शन मार्ग पर  लॉकर की सुविधा है | 

अयोध्या में भोजन के बारे में खास बात 

पूरी अयोध्या शाकाहारी है | कई  होटलो में बिना प्याज और लहसुन से बना भोजन भी मिलता है | जानकी महल और जैन धर्मशाला में भी बिना प्याज और लहसुन का भोजन मिलता है 

 

प्रमुख दर्शनीय स्थल 

अयोध्या  में भगवान राम से जुड़े वो प्रमुख स्थान जो आप देख सकते है 

अयोध्या में राम मंदिर दर्शन के अलावा भगवान राम से जुड़े और भी कई स्थान है इन स्थानों पर भगवान राम के चिन्ह मौजद है | ये स्थान राम मंदिर के आस पास ही है – 

हनुमानगढ़ी -राम मंदिर से दुरी 500 मीटर 

महत्व – राम मंदिर जाने से पहले हनुमान मंदिर के दर्शन करने की परम्परा रही है मंदिर में जो मूर्ति है उसमे हनुमान जी मां अंजनी की गोद में है | 

 

खुलने का समय सुबह 4. 00 बजे से रात 10.00 बजे तक खुला रहता है  | 

नागेश्वरनाथ  महादेव दर्शन – २ किमी दूर 

महत्वभगवान शिव को समर्पित यह मंदिर राम की पेढ़ी  में स्थित है ऐसी मान्यता है  की इसका निर्माण श्री राम के छोटे पुत्र कुश ने करवाया था |

मणिराम दास  छावनी – राम मंदिर से दूरी 1 किमी

महत्व – इस मंदिर में आमने – सामने दो हवेलियां है  | यह के वाल्मीकि जी भवन की दो मंजिलों की  दीवारों पर सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण अंकित है |

रामलला सदन – राम मंदिर से दूरी 1 किमी 

महत्वअयोध्या में यह पहला ऐसा मंदिर है | जिसे द्रविड़ शैली  में बनाया गया है | यह भगवान श्री राम के कुलदेवता भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान रंगनाथन का मंदिर है | 

दशरथ महल – राम मंदिर से दूरी 700 मीटर  

महत्व राजा दशरथ ने यह महल बनवाया था , हालांकि बाद में इसका कई बार जीर्णोद्धार हुआ | यहां भगवान राम, माता सीता ,लक्ष्मण और भरत की मुर्तिया है | 

 

 

रंग महल  -राम मंदिर से दूरी 1 किमी 

महत्व इस मंदिर के संत खुद को सीताजी की सखी मानते है मान्यता है की विवाह के बाद इस मंदिर में माता सीता की मुंह दिखाई रस्म हुई थी | 

  स्थान  महत्व  अयोध्या  से  दूरी
1 भरत  कुंड  श्री राम की पादुका रखकर भरत ने यही से 14 साल शासन किया था |    16 किलोमीटर
2 गुप्तार घाट  यही श्रीराम ने जल समाधि ली थी | वे यही से साकेत  धाम चले गए थे 10 किलोमीटर 
3 मख भूमि  यही श्रीराम के जन्म के लिए राजा दशरथ ने यज्ञ किया था   20 किलोमीटर
4 सूरजकुंड  यह भगवान सूर्य का मंदिर और कुंड है |  3 किलोमीटर

अयोध्या के लिए कितने दिन का प्लान ?

अयोध्या के लिए कम से कम पूरा एक दिन का समय रखें | ठीक से अयोध्या के स्थानों को देखने के लिए कम से कम तीन दिन का प्लान बनाना चाहिए | 

 

 

अयोध्या में साल के प्रमुख उत्सव 

  • अयोध्या में रामनवमी ,दीपावली दोनों पर खास उत्सव  का माहौल होता है | 
  • इन दिनों यहाँ भक्त बड़ी संख्या में आते है |  
  • चैत्र ,कार्तिक और सावन में यहां बड़ी संख्या में भक्त आते है | 
  • सावन झूला मेला (जुलाई -अगस्त)यहां देखने लायक होता है | 
  • अक्टूबर -नवंबर  में 14 कोसी  परिक्रमा के साथ यहां  कार्तिक मेला लगता है  | 
  • हर माह पूर्णिमा पर सरयू स्नान के दौरान यह उत्सव का माहौल रहता है  | 

 

अपने वाहन से अयोध्या जाये तो।  

सामान्य रूप से आप अपने वाहनों से भी अयोध्या जा सकते है  हनुमानगढ़ी  और कनक भवन का मार्ग संकरा होने के कारण येल्लो जोन से वाहन पास कराना होता है | सेष अयोध्या में कोई दिक्कत नहीं है |

टिप्स अयोध्या में काम आएंगे 

  1. आप राम जन्मभूमि  परिसर के अंदर निजी सामान (फ़ोन ,वॉलेट ,चार्जर पेन नोट बुक)नहीं ले जा सकते | परिसर में लॉकर निशुल्क है | 
  2. मौसम और पर्व के लिहाज से अयोध्या जाने का सबसे अच्छा समय मार्च अप्रैल मई अक्तुम्बर नवम्बर और दिसम्बर के महीने है | 
  3. राम मंदिर में बुजुर्गों  और दिव्यांग  भक्तों के लिए विहिल चेयर और लिफ्ट की व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध है | 
  4. अयोध्या के अलावा  लख़नऊ में अन्तराष्ट्रीय  हवाई अड्डा है | यह अयोद्या  से लगभग 152 किलोमीटर दूर है | गोरखपुर प्रयागराज और वाराणसी हवाई अड्डों के बिच की दूरी क्रमसः 158 किमी 172 किमी और 224 किमी है| 
  5. रामलला के मंदिर के ठीक बाहर अमावा पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट की राम रसोई है |  राम रसोई में रामलला के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को यहां आधार कार्ड दिखाने से निशुल्क भोजन मिलता है | 
  6.   अयोध्या के लिए लखनऊ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से टैक्सी मिल जाएगी | 
  7. अयोध्या में राम मंदिर में दर्शन के दौरान कम से कम 5 चौकियां है जहां आपको सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ सकता है| 
  8. अगर अचानक किसी चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है तो राम मंदिर का चिकित्सा शिविर है | इसके अलावा नजदीक ही श्रीराम अस्पताल भी है |

अयोध्या  

श्रृंगवेरपुर  श्रृंगी ऋषि  के आश्रम में किया रात्रि प्रवास 

रामायण  और पुराणों के मुताबिक त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का  जन्म तीर्थराज प्रयाग में गंगा तट स्थित श्रृंगवेरपुर धाम की वजह से ही हुआ था संतान प्राप्ति की खातिर राजा दशरथ ने श्रृंगवेरपुर में ही श्रृंगी ऋषि से पुत्रेष्टि यग  कराया था  श्रृंगवेरपुर में हुए इस पुत्रेष्टि यग के वजह से ही राजा दशरथ  के यहां  ब्र्हा रूपी भगवान श्री राम सहित चार पुत्रों का जन्म हुआ था भगवान राम ,माता सीता व लक्ष्मण वनवास के लिए  जब अयोध्या से निकले थे तब माता शांता व श्रृंगी ऋषि के आश्रम में रात्रि प्रवास किया था अगले दिन उन्हें निषादराज गुह ने गंगा पार कराया था श्री राम वन गमन पथ में स्थित प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर   धाम का योगी सरकार कायाकल्प कर रही है  श्रृंगवेरपुर धाम के कार्य कल्प का कार्य तेजी से चल रहा है प्रदेश के धार्मिक और पौराणिक स्थलों को भव्य स्वरूप दे रही है योगी सरकार द्वारा यहाँ धार्मिक एवं   पर्यटन विकाश कार्य कराये जा रहे है  श्रृंगवेरपुर के रामघाट मार्गः पर भव्य निसाद राज गुहा सांस्कर्तिक केंद्र का निर्माण किया जा रहा है यहां एक ऑटोडोरियम तथा राम कथा गैलरी का निर्माण भी हो रहा है इसके अलावा यहाँ संध्या घाट व टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर भी विस्थापित किये जा रहे है

बिठूर : यहां लव कुश का हुआ था जन्म

बिठूर उत्तर प्रदेश में कानपुर के निकट एक छोटा सा धार्मिक शहर है प्रभु श्री राम द्वारा त्यागे जाने के पष्चात  माता सीता को लक्ष्मण ने यही छोड़ा था गंगा नदी के समीप ही वाल्मीकि का आश्रम है जहां पर माता सीता ने लव और कुश को जन्म  दिया था तथा उनका लालन पोशण किया था ऐसी स्थान पे लव एवं कुश ने श्रीराम के अश्व को रोका था  तथा हनुमान को बंदी बनाया था यहां आज भी वह स्थान स्थित है जहा महा ऋषि वाल्मीकि ने रामायण लिखी थी  योगी सरकार बिठूर में भगवान राम के पुत्रो के जन्म स्थान  ऋषि वाल्मीकि आश्रम को भी सवार रही है  

अयोध्या में बना भगवान  श्री राम  भव्य मंदिर

अयोध्या वह स्थान है |  जहां पर भगवान विष्णु ने 7वें अवतार भगवान श्री राम के रूप में जन्म लिया था रामायण में कहा गया है कि  प्रभु राम का जन्म स्थान अयोध्या में सरयू नदी के तट पर है यहां श्री राम जन्मभूमि  पर रामलला अपने भव्य व दिव्य मंदिर में विराजमान हो गए है  यह मंदिर 2.7 एकड़ भूमि में है इस परिसर में इतनी जगह है की लाखो भक्त एक साथ मंदिर में भगवान श्रीराम के दर्शन  कर सकते है राम  मंदिर का निर्माण  कार्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ छेत्र ट्रस्ट की देख रेख में चल रहा है इस मंदिर में राजस्थान के बंसी पर्वत के बलुआ पथरो का प्रयोग किया गया है मंदिर का डिजाइन चंदरकान्त सोमपुरा ने बनाया है नागर शैली में बनाए जा रहे इस इस मंदिर प्रवेश द्वार पूर्व की ओर  बना है

 

चित्रकूट में ही भगवान श्रीराम ने बिताए थे वनवास के 11 वर्ष

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर  बसा चित्रकूट एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यह स्थान पर्यटन के  लिहाज से भी काफी प्रसिद्ध है  यहां की शांत नदियां  लोगो को आकर्षित करती है यह स्थान भगवान श्री राम के लिए जाना जाता है पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री राम ने अपने वनवास के 11 वर्ष यहीं  बिताए  थे गुप्त गोदावरी चित्रकूट से करीब 18 किलोमीटर दूर है ऐसा कहा जाता है की भगवान श्री राम जहां दरबार  लगाते थे इसके अलावा रामघाट और कालिंजर किला तथा कई ऐतिहासिक मंदिर है चित्रकूट परम कुटीर के पास भरत मिलाप मंदिर स्थित है यहां पर भगवान श्री राम के पद चिन्ह आज भी देखने को मिलते है उत्तर प्रदेश सरकार  चालू वित्तीय वर्ष 2023 – 24 में बुंदेलखंड विकास निधि के अंतर्गत जनपद चित्रकूट की  09 परियोजनाएं के क्रियान्वयन पर 12 .93 करोड़ रूपए की धनराशि वय कर रही है |

बिजेथुआ महावीरन : हनुमान जी ने यहां किया था कालनेमि का वध 

बिजेथुआ महावीरन धाम लाखो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है यह पौराणिक स्थल सुल्तानपुर जनपद के कादीपुर तहसील छेत्र में है कहते कि यह वह स्थान है जहां त्रेतायुग में हनुमान जी ने कालनेमि नाम के राक्षस का वध किया था संकट से मुक्ति के लिए हर मंगलवार या शनिवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है लम्मे समय से इस छेत्र विकाश के लिए प्रतिबद्ध उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसे रामायण सर्किट में शामिल कर लिया गया है रामायण सर्किट में शामिल इस धाम के पर्यटन विकाश के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 10 एकड़ जमीन पर मेला परिसर दर्शको व श्रद्धालुओं के लिए मुलभुत सुविधाओं का विकाश किया जा रहा है |

अयोध्या होगा अब आस्था के साथ पर्यटन का केंद्र 

भगवान राम की नगरी अयोध्या की भव्यता अब लौट रही है श्री राम जन्मभूमि पर भव्य व दिव्य राम मंदिर आकार ले चुका है इसी के साथ धार्मिकता  के संग अयोध्या नगरी  पर्यटन के छेत्र में भी विकसित हो रही है यही  वजह है कि दूर दराज  से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए अयोध्या एक आकर्षण का केंद्र बनती जा रही है दरअसल आस्था  के साथ – साथ भगवान राम की नगरी अयोध्या पर्यटन की दृष्टि से भी जानी और पहचानी जाएगी | 

उत्तर प्रदेश में काशी जिस  तरह तीर्थ यात्रियों के साथ – साथ पर्यटकों के लिए भी पसंदीदा स्थल है ठीक उसी तरह योगी सरकार अब भगवान राम की नगरी अयोध्या को आस्था के साथ साथ पर्यटन नगरी भी बना रही है अयोध्या में वाटर क्रूज़ ,वाटर टैक्सी ,हाट एयर बैलून वाटर स्पोर्ट्स जैसे आयोजन सुरु हो रहे है |

मठ – मंदिरों के साथ पर्यटन स्थलों  का विकास 

अयोध्या के पौराणिक कुंडो का जीर्णोद्धार किया जा रहा है गुप्तार घाट दशरथ समाधि स्थल समेत सूरजकुंड का  अलौकिक दृश्य श्रद्धालुओं को इन दिनों खूब पसंद आ रहा है  इतना ही नहीं सरकार का प्रयास है की  अयोद्या पर्यटन की दृष्टि से भी जाने और पहचाने जाये यही वजह  है की अयोध्या में मठ – मंदिरो के साथ   पर्यटन स्थल को भी बढ़ावा मिल रहा है|  अयोध्या में एक तरफ भवय मंदिर पूर्णता की ओर बढ़ रहा  है तो पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है |

आसान होगी अयोध्या से चित्रकूट की राह

अयोध्या को चित्रकूट से जोड़ने वाला राम वन गमन पथ अब छह लेन का बनेगा इससे यूपी के कई जिलों के अलावा मध्य्प्रदेश महाराष्ट्र व अन्य  प्रांतो के लोगो को भी सुविधा होगी रामायण सर्किट के नजरिये से भी यह बहतर होगा इस मार्ग को छ लेन में बदलने से रामनगरी से तीर्थराज प्रयाग व चित्रकूट तक श्रदालुओ का आवागमन बेहद सुगम हो जायेगा आसपास के तमाम जिलों के कार्य व्यवसाय आसान होगा मध्य्प्रदेश समेत अन्य राज्यों से बहतर जुड़ाव सड़क मार्ग के जरिये हो सकेगा | 

श्री राम मंदिर और सरयू की शुभता संग स्वर्णिम अतीत का यशोगान 

अयोध्या जी  में भक्त  संग प्रभु के पावन दर्शन ही नहीं ,अनेक स्थल है  आस्था के केंद्र पंचकोशीय परिक्रमा की परिधि में है

पुण्य सलिला  सरयू  के साथ  सृष्टि के आरम्भ से ही प्रवाहमान सभ्यता संस्कृति परम्परा आस्था के अजस्त्र परवाह में डुबकी लगानी हो तो अयोध्या  आइये  श्रीराम के जन्म से आस्था के शिखर पर स्थापित होने वाली नगरी में न  केवल श्री राम के समकालीन स्मारक विभोर करने वाले है बल्कि सूर्य देव मनु जैसे श्रीराम के वंश प्रवर्तकों की स्मृति भी कतिपय पुरास्थलों के माध्यम से जीवित होती है  22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई यह यह मंदिर वास्तु के अप्रतिम उदाहरण के रूप में निर्मित किया गया है पारंपरिक वस्तु का प्रतिनिधित्व करते लाल बलुए  पत्थर से निर्मित राम मंदिर का परकोटा आठ  एकड़ में है जबकि सम्पूर्ण रामजन्भूमि परिसर 72 एकड़ से अधिक है इस परिसर को श्रेष्ठत्म सांस्कृतिक उप नगरी के रुप में विकसित किया जा रहा है|

नंदीग्राम : युगो  पूर्व श्री राम के वन जाने पर भ्राता भरत ने अयोध्या का राज्य संचालन जिस जिस स्थान पर तपस्या करते हुए किया था वह नन्दी ग्राम था यह यह स्थल अयोध्या की पंचकोसी सीमा से करीब 13 किलोमीटर दूर प्रयागराज मार्ग पर स्थित है यहां भरत की तपस्थली भरत – हनुमान मिलन स्थल और भरत के नाम से स्थापित सरोवर है इसे पर्यटन  स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है वन और कृषि छेत्र से घिरे इस स्थल पर आकर भरत और श्री राम के प्रति उनके असीम समर्पण की अनुभूति होती है|

सूरजकुंड : राम मंदिर से  पांच किलोमीटर दूर यह सरोवर उसी स्थान पर स्थित है जिसके बारे में मान्यता है की राम जन्म के अवसर पर सूर्यदेव पुरे माह यही  ठहरे इससे अस्तित्व में कोलाहल मच गया किन्तु सूर्य देव अपने वंश में जन्म लेने वाले परात्वर ब्र्हा का  शैशव देखने के लोभ में यह डटे रह गए |